कूलाम का नियम तथा विद्युत क्षेत्र , coulom's law and electric field

कूलाम का नियम तथा विद्युत क्षेत्र , coulom's law and electric field

कूलाम का नियम तथा विद्युत क्षेत्र

आज से लगभग 26 वर्ष पहले यूनान के महान दार्शनिक थे। उसने बताया कि प्रकृति में नंबर एक पदार्थ पाया जाता है। जिससे उन द्वारा रगड़े जाने पर हल्की वस्तुओं कागज के टुकड़े के बाल इत्यादि को अपनी ओर आकर्षित करता है। 1620 भी में इंग्लैंड के वैज्ञानिक डॉ गिलवर्ल्ड ने बताया कि प्रकृति में अंबर जैसा कुछ और पदार्थ पाए जाते हैं। जैसे गंधक लगा दी इन्हें भी रगड़े जाने पर यह हल्की वस्तु को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं।
जब किसी पदार्थ को रगड़ा जाता है तो वह घर्षण के कारण हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है। ऐसे पदार्थ को वैद्युत में इलेक्ट्रिक फील्ड कहते हैं। तथा यह कारण जिसके द्वारा पदार्थ में यह गुण उत्पन्न होता है। उसे विद्युत इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं।
जब आवेशित पदार्थ हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित अथवा प्रति कृषित करने लगता है तो कहा जाता है। कि पदार्थ में आवेश ग्रहण कर दिया है।
आवेश किसी वस्तु में पाए जाने वाला वह मूल गुण है। जिसके द्वारा वर्बल आवेशित करता है। अथवा बल का अनुभव करता है।
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत आवेश अथवा आवेशित वस्तुओं के विद्युत प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। उसे विद्युत कहते हैं यदि आवेश स्थिर हो तो उसके वैद्युत प्रभावों का अध्ययन स्थिर वैद्युत की स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी कहलाता है। तथा यदि आवेश गतिमान होता है तो उसके विद्युत प्रभाव का अध्ययन धारा विद्युत की करंट इलेक्ट्रिसिटी चलाती है।
वैद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं।
1-धन आवेश
2- ऋण आवेश
यह नाम अमेरिकन वैज्ञानिक फ्रैंकलैंड नेशन 1750 मैं दिया।

जब कांच की छड़ को रेशम के कपड़े पर रगड़ा जाता है तो कांच की छड़ धन आवेश तथा रेशम का कपड़ा ऋण आवेशित हो जाता है। इसी प्रकार जब आवेलु शिक्षण को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है तो आपने उसकी क्षण ऋण आवेश तथा बिल्ली की खाल धन आवेशित हो जाती है।
जब दो पदार्थों को एक दूसरे से रगड़ा जाता है तो उनके बीच धन आवेशित तथा ऋण आवेश उपकरणों के स्थानांतरण के कारण ही ऊपर आवेश उत्पन्न होता है। इससे पता चलता है कि किसी पदार्थ के आवेश का कारण धन आवेश तथा ऋण आवेश इत कणों की स्थानांतरण है। इसलिए उन्हें आवेश वह कहते हैं।

इलेक्ट्रॉन सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक पदार्थ का निर्माण परमाणुओं से मिलकर हुआ है। प्रत्येक परमाणु में उनके केंद्र पर नाभिक होता है जिनमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पाए जाते हैं तथा नाभि के चारो ओर विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं। जिन इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बल कम होता है उन्हें मुक्त इलेक्ट्रॉन कहते हैं।

किसी पदार्थ के आभूषण में इलेक्ट्रॉन की उत्तरदाई होती है प्रोग्राम नहीं क्योंकि प्रोग्राम परमाणु के नाभिक में पाया जाता है। जिसे निकालना कठिन होता है यदि किसी पदार्थ पर इलेक्ट्रॉन की कमी होती है तो उस पर धन आवेश होता है। तथा यदि पदार्थ पर इलेक्ट्रॉन की अधिकता होती है तो उस पर ऋण आवेश होता है।

यदि किसी आवेशित पदार्थ पर ne- की अधिकता अथवा कमी होती है तो उस पदार्थ पर आवेश की मात्रा (q=ne) जहां इको मूल आवेश कहते हैं। इसका मान 1.6 * 10-19 कुलाम होता है।

वैद्युत आवेश का संरक्षण conservation of electric charge
जब दो वस्तुएं परस्पर रगड़ी जाती हैं तो उन पर ठीक एक दूसरे के बराबर किंतु विपरीत आवेश उत्पन्न होता है जैसे जब कांच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है तो कांच की छड़ पर जितना धन आवेश उत्पन्न होता है। रेशम के कपड़े पर ठीक उतना ही ऋण आवेश उत्पन्न होता है इसी प्रकार जब आबनूस की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है तो आबनूस के क्षण पर जितना ऋण आवेश उत्पन्न होता है ठीक उतना ही बिल्ली की खाल पर धन आवेश उत्पन्न होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रगड़े जाने के पश्चात कांच के छड रेशम के कपड़े पर उत्पन्न कुल आवेश शून्य है। तथा जाने क पूर्व भी कुल आवेश शुन्य था। अतः स्पष्ट है कि वैद्युत आवेश को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है। और ना ही इसे नष्ट किया जा सकता है। यही वैद्युत आवेश का संरक्षण अथवा इसे ही विद्युत आवेश के संरक्षण का नियम कहते हैं।
विद्युत धारा electric current
किसीचालक में आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं यह एक मूल राशि है जिस का मात्रक एंपियर मूल मात्रक होता है।
यदि किसी चालक q- t समय तक प्रवाहित होता है तो उस चालक में प्रवाहित धारा
i=q/t
किसी चालक में आवेश के प्रवाहित होने का तात्पर्य उस चालक में प्रवाहित होने वाली पोर्ट रानू अथवा इलेक्ट्रॉनों से है। विद्युत धारा की दिशा प्रोग्रामों के चलने की दिशा में अथवा इलेक्ट्रॉन के चलने की विपरीत दिशा में होती है। यदि किसी चालक में n प्रोट्रान अथवा न इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होते हैं। तो चालक में प्रवाहित धारा
i= npe/t or npe/t Ampere
मात्रक एंपियर
1 एंपियर सूत्र i= q/t से यदि q=1 कूलाम
तो i= 1 Ampere
 यदि किसी चालक में 1 कूलाम आवेश 1 सेकंड तक प्रवाहित होता है। तो उस चालक में प्रवाहित विद्युत धारा 1 एम्पीयर होती है।
1 एंपियर की मानक परिभाषा

एंपियर विद्युत धारा वह धारा है जो निर्वात अथवा वायु में परस्पर 1 मीटर की दूरी पर रखे दो सीधी लंबे व समांतर तारों के बीच उनकी प्रति मीटर लंबाई पर 2 * 10घात 7 न्यूटन का बल आरोपित करती  है।

मूल आवेश FIRdominal charge
मूल आवेश प्रकृति में पाए जाने वाला वह सूक्ष्म तम आवेश है। जो किसी आवेश घनत्व आवेशित वस्तु पर हो सकता है किसी आवेशित वस्तु पर आवेश का मान सदैव इलेक्ट्रॉन के पूर्ण गुणज में होता है। जैसे e, 2e, 3e, 4e...... इससे पता चलता है कि आवेश का अनिश्चित रूप में विभाजित नहीं किया जा सकता है। आवेश के इस गुण को आवेश का क्वांटम करण अथवा परमाणुकता quantum nation of atomic of charge कहते हैं।

Post a Comment

0 Comments