मानचित्र और मानचित्र कला, Maps and Cartography

मानचित्र और मानचित्र कला, Maps and Cartography

मानचित्र मानव समाज के वैज्ञानिक विकास का एक महत्वपूर्ण तथ्य है मानवीय ज्ञान के विकास क्रम में भूगोल से संबंधित तथ्यों के ज्ञान में क्यों और कहां दो महत्वपूर्ण बिंदु रहे हैं इनमें से कहां शब्द के परिपेक्ष में ही मान चित्रों की पद्धति प्रचलित हुई सीमित संसाधन और सीमित क्षमता के कारण किसी भी भूल बिता के लिए अकेले संपूर्ण विश्व का भ्रमण करके धरातलीय जटिलताओं का विवरण अत्यंत दुष्कर है इसलिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष सर्वेक्षण करके उसका मानचित्रण करने में से क्रमशः किसी भी अकेले व्यक्ति को संपूर्ण विश्व के बारे में जानकारी मिल जाती है चुकी धरातलीय विविधताओं का उसके अंतर्संबंध के संदर्भ में क्षेत्रीय विश्लेषण करना ही भूगोल है इसलिए कोई भी तथ्य धरातल पर कहां स्थित है इसे संबंधित क्षेत्रों के मानचित्र पर आसानी से दिखाया जा सकता है इस प्रकार धरातल की बहुत सी विशेषताओं का विवरण मानचित्र को देखकर किया जा सकता है संभवत इसलिए मान चित्रों को भूगोल की भाषा कहा गया है इससे सिद्ध होता है कि मानचित्र और भूगोल एक दूसरे से अटूट संबंध रखते हैं कदाचित कोई भी मानचित्र जो किसी भी तथ्य के कहां का उत्तर देता है वह फूल से ही संबंधित माना जाता है।

मानचित्र Maps
                 _संपूर्ण पृथ्वी अथवा उसके किसी भाग का एक निश्चित मापक और प्रक्षेप पर विभिन्न सांकेतिक चिन्ह द्वारा प्रदर्शन ही मानचित्र है इस तरह मानचित्र धरातल की विभिन्न विशेषताओं को संकेत चिन्हों के आधार परमापक तथा प्रक्षेप के अनुसार समतल सतह पर प्रदर्शित करते हैं अभीष्ट उद्देश्य और आवश्यकतानुसार संपूर्ण पृथ्वी का एक अथवा एक साथ अथवा उसके किसी खंड का अलग-अलग मानचित्रण किया जाता है वास्तविक अर्थों में धरातल जटिलताओं से भरा है प्राकृतिक तथा मानवीय तथ्यों की अवस्थिति उनके प्रकार और अंतर्संबंध बहुत ही प्रतिरूप वाले हैं इनका एक साथ चित्रण वह भी यथार्थ स्थिति के संदर्भ में उपयुक्त नहीं है और ना ही संभव है इसलिए उद्देश्य और आवश्यकता अनुसार लगभग मापन का चयन कर के अनुकूल पृथ्वी पर मानव चित्रण किया जाता है इससे एक दीर्घ मापक कला मान चित्र पर विस्तृत तथ्यों का प्रदर्शन और लघु मापक वाले मानचित्र पर अल्प सूचनाओं की चित्रण किया जाता है वास्तव में मानचित्र एक विभिन्न समितियों के माध्यम से तथ्यों की भौगोलिक स्थिति का चित्रण की जाती है इसके लिए उपर्युक्त प्रक्षेप का चयन आवश्यक है यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पृथ्वी का यथार्थ प्रदर्शन किसी एक ही प्रति पर करना ही दुष्कर है इसलिए विभिन्न क्षेत्रों के यथार्थ चित्रण हेतु अलग-अलग पदों की रचना की जाती है इसके इससे अलग अलग क्षेत्रों के अनुसार धरातल का मानचित्र अधिक उपयुक्त होता है इससे अभ्यस्त तथ्यों का और अधिक उपयुक्त चित्रण संभव होता है।

सूचनाएं आंकड़ों रेखांकित और फोटोग्राफी के माध्यम से संकलित की जाती है इसलिए मानचित्रण हेतु सूचना संग्रह आवश्यक है यह सूचना संग्रह निम्न विधियों पर आधारित है।

1-प्रत्यक्ष सर्वेक्षण Direct surveying- इसके अंतर्गत कोई भी सक्षम व्यक्ति क्षेत्र विशेष में जाकर विभिन्न तथ्यों का रेखाचित्र करके सूचनाओं को संग्रहित कर सकता है।
2- यांत्रिक सर्वेक्षण Instrumental Surveying- यह भी एक प्रत्यक्ष सर्वेक्षण है जिसमें विभिन्न दूरी तथा क्षेत्र मापक यंत्र ओं के माध्यम से तथ्यों से संबंधित विशेषताओं का संग्रह करते हैं।
3- हवाई छायाचित्र Arial photography- इसके अंतर्गत संपूर्ण धरातल का विभिन्न खंडों के अनुसार वायुयान से लगे कैमरे से वास्तविक छायाचित्र लिया जाता है फिर विभिन्न यंत्रों का प्रयोग करके उसके आधार पर मानचित्र किया जाता है।
4- दूर संवेदन Remote Sensing - वर्तमान समय में धरातल की यथार्थ अनुकृति दूर संवेदन तकनीकों के माध्यम से मानचित्र पर प्रदर्शित की जाती है इसके अंतर्गत कृत्रिम उपग्रहों में लगे संवेदक को से धरातलीय विशेषताओं की विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के परावर्तन के सिद्धांत पर अंकित संग्रह किया जाता है फिर उन्हें केंद्र पर स्थित कंप्यूटरों को संप्रेषित करके मानचित्र किया जाता है ।
5-बहुत सी सूचनाओं को सर्वेक्षण के द्वारा अंकित रूप से प्राप्त करते हैं फिर उन्हें विभिन्न विधियों से रेखा चित्रों एवं आरेख द्वारा भौगोलिक अवस्थिति के अनुसार मानचित्र किया जाता है।

मानचित्र कला Cartography- 
साधारणतया मानचित्र कला का अर्थ मानचित्र रोक की संपूर्ण प्रक्रिया से संबंधित है मानवीय सभ्यता के विकास के साथ ही मनुष्य अपने रहन-सहन और परिवेश की चित्र दिवाली पत्थरों और मिट्टी की पट्टी का ऊपर करता रहता था संभवत भाषा के विषय विकास से पूर्व भी मानचित्रण की कला विकसित थी इसके प्रमाण सिंधु घाटी बेबी लोन ग्रीक रोमन और चीनी आदि सभ्यताओं में गुफाओं के दीवारों पर अंकित चित्र रेखा चित्र आदि रूप में मिलते हैं यद्यपि उनको आधुनिक युग में मानचित्र नहीं माना जाए सकता किंतु ऐसे चित्र एवं रेखा चित्र मानचित्र कला के प्रारंभिक स्वरूप जरूर है तब से लेकर वर्तमान समय तक मानचित्र कला एक आधुनिक विकास आधुनिक विज्ञान के रूप में विकसित हुई है अपने उत्पत्ति काल से लेकर अब तक मानचित्र कला मनुष्य के जीवन में विभिन्न परिस्थितियों को आसान बनाने में सहायक रही है और एक तरफ से मनुष्य के लिए अभिव्यक्ति का माध्यम रही है तकनीकी विकास के परिणाम स्वरुप आज मानचित्रण कला एक विज्ञान के रूप में भी स्वीकार्य है चुकी मानचित्रण अभिव्यक्ति का एक दुष्ट प्रदर्शन है इसलिए प्रारंभिक काल से आज तक उसको सुंदर और कलात्मक ढंग से राज्य बनाया जाता है ताकि मानचित्र को देखकर ही विभिन्न तथ्यों को आसानी से समझा जा सके इसलिए मानचित्र कला के कलात्मक संवेद तथा अभिव्यंजना के कारण कलाकृतियों का आभास होता है उसकी विपरीत आधुनिक युग में यह मानचित्र विज्ञान के रूप में माना जाता है आधुनिक मानचित्र में मापन के अनुसार भौगोलिक स्थिति दूरी एवं क्षेत्रफल का प्रदर्शन विभिन्न प्रकार के आलेखों माना रेख हूं और चाटो से किया जाता है इसलिए आधुनिक मानचित्रण विभिन्न तथ्यों का यथार्थ सापेक्षिक चित्रण है जिसको देख या पढ़कर के किसी भी तथ्य की सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है इसलिए इसको एक विज्ञान भी कहा जाता है इस प्रकार स्पष्ट होता है कि आधुनिक मानचित्र कला विज्ञान और कला दोनों है इसलिए इरविन ने लिखा है कि एक मानचित्र कार 50% भूगोलवेत्ता 30% कलाकार 10% गणितज्ञ और 10% अन्य विषयों का ज्ञाता होता है।

मानचित्र कला की परिभाषा Defination of Cartography- 
मानचित्र कला के संबंध में उपरोक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि मानचित्र कला विभिन्न वैज्ञानिक विधियों की सहायता से विभिन्न भौगोलिक तथ्यों का कलात्मक मानचित्रण है ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में मानचित्र कला कार्टोग्राफी को मानचित्र ओं की रचना से संबंधित माना जाता है मांस हाउस ने इसे परिभाषित करते हुए लिखा है कि मानचित्र कला धरातल के वास्तविक सर्वेक्षण से लेकर आंकड़ों के वर्गीकरण विश्लेषण और उनके मानचित्रण मुद्रण तक संपूर्ण प्रक्रियाओं की समन्वित श्रृंखला से संबंधित है इसी तरह इरविन रेज ने भी मानचित्र कला को उच्चावच प्रतिरूप आवेक्षण रेखाचित्र मानारेख आदि निर्मित करने की कला एवं विज्ञान को मानचित्र कला माना है संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक विभाग ने भी मानचित्र कला को धरातल से संबंधित सर्वेक्षणों के आधार पर उपलब्ध आंकड़ों की सहायता से मानचित्रण एवं मुद्रण तक की संपूर्ण क्रियाओं को मानचित्र कला माना है इस प्रकार स्पष्ट होता है कि मानचित्र कला मानचित्रण की कला है जो वर्तमान समय में वैज्ञानिक विधियों की सहायता से मानचित्रण की प्रक्रियाओं से संबंधित है इसलिए इसका क्षेत्र बहुत ही व्यापक है यद्यपि मूल रूप से यह भौगोलिक मानचित्र कला और इसका सर्वाधिक प्रयोग भी भूगोल में ही होता है इसलिए मैंने चित्रों को भूल कर सा माना जाता है इसके विपरीत दूसरे विषयों में भी मानचित्र कला का प्रयोग बढ़ता गया है क्योंकि इसके द्वारा विभिन्न विषयों द्वारा संकल्पों तथा सिद्धांतों के विस्तृत विवरण को संक्षेप में अधिक बोधगम्य एवं प्रभावोत्पादक बनाया जा सकता है।

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