सिंधु घाटी सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता, Indus valley civilization and Vedic civilization

सिंधु घाटी सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता, Indus valley civilization and Vedic civilization

भारत की प्राचीनतम नगरीय सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता या सेंधव सभ्यता का कर पुकारा जाता है।क्योंकि इस सभ्यता से संबंधित प्रारंभिक पुरास्थल सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों के इर्द-गिर्द मिले थे। जैसे हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदरो आदि इस सभ्यता को प्रमुख सभ्यता भी कहकर पुकारा जाता है। क्योंकि इस सभ्यता से संबंधित पूरा स्थलों में सर्वप्रथम हड़प्पा नामक पुरास्थल की खुदाई की गई थी। इस सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता कहते हैं। परंतु यहां के हथियार तांबे के बने होते थे।


हड़प्पा सभ्यता का उद्भव।

इसके संबंध में विद्वानों में मतभेद है उन्हें 2 सिद्धांतों के अंतर्गत बांटा जा सकता है। नंबर 1 वैदिक उद्गम का सिद्धांत तथा स्थानीय उद्भव का सिद्धांत हड़प्पा सभ्यता के जनक दक्षिण मेसोपोटामिया के सुमेरिया ई लोग थे। और इस मत के समर्थक विद्वान में डी एच गार्डनर सर जॉन मार्शल आदि हैं। हड़प्पा सिंधु या उसकी सहायक नदियों के आसपास थी। जबकि मेसोपोटामिया इराक दजला फरात नदियों के आसपास बसी थी। दोनों की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि था दोनों में पक्की ईंटों का प्रयोग होता था।

प्राचीन भारत के ऐतिहासिक स्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास को मुख्य था चार स्रोतों से जाना जा सकता है।

1-धार्मिक ग्रंथ।

2- ऐतिहासिक ग्रंथ।

3 विदेशियों से प्राप्त विवरण।

4-परातात्विक स्रोत।

1-वेद भारत का सबसे पुराना ग्रंथ है। इसको महर्षि कृष्ण द्वैपायन ने संकलित किया था। वे चार प्रकार के होते हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद इन में ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है।

ऋग्वेद= इस वेद में 10 मंडल 1028 शुक्ती तथा 10462 रिचाए हैं इस वेद में रिसाव का संग्रह है। इस रिसाव को पढ़ने वाले होत्री कहलाता है। इसमें आर्यों के राजनीतिक प्रणाली के बारे में वर्णन मिलता है। इस वेद के दूसरे मंडल की रचना विश्वामित्र ने किया था। इसी मंडल में गायत्री मंत्र का वर्णन है। जो सविता देवी को समर्पित है इस के आठवें मंडल में हाथ से लिखित रचनाओं को फिल कहा जाता है। रामामंडल सोम देवता को समर्पित है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में चारों वर्णों ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य एवं क्षुद का वर्णन मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह ब्रह्मा के क्रमशःमुख भुजाओं जगह और पैरों से उत्पन्न हुए हैं। इस वेद में इंद्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए दो सॉरी चाय संकलित की गई हैं अर्थात इंद्र इस वेद के प्रमुख देवता थे।

यजुर्वेद= इसमें लाए के साथ बलि चढ़ाते समय मंत्रों का उच्चारण किया जाता था जिसको पढ़ने वाले को उधरवयु कहा जाता था। क्योंकि यह लाए में गाया जाता था अतः यह गद्य एवं पद्य दोनों में मिलता है।

सामवेद= इस में गाए जाने वाली ऋचा ओं का वर्णन है इसे भारतीय संगीत का जनक भी माना जाता है।

अथर्ववेद= अथर्व ऋषि ने इस वेद की रचना की इस वेद में जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, रोगों के उपचार, श्राप, वशीकरण, आर्शीवाद, औषधि, स्तुति, विवाह, प्रेम, राज कर्म इत्यादि का वर्णन मिलता है। इस वेद में सभा एवं समिति दो प्रजापति की पुत्रियां मानी जाती हैं।

वेदांगो की संख्या 6 है 1- शिक्षा, 2- कल्प, 3- निरुक्त 4-व्याकरण, 5- छंद, 6-ज्योतिष।

पुराणों की संख्या 18 है जिनमें केवल 5 पुराणों में ही राजाओं की वंशावलीयों का जिक्र मिलता है। 

जैसे मत्स्य पुराण (आंध्र सातवाहन), वायु पुराण (गुप्त वंश), विष्णु पुराण (मौर्य वंश), ब्राह्मण एवं भागवत पुराण।

अधिकांश पुराणों को सरल संस्कृत में लिखा गया है।इसका पाठ पुजारी मंदिरों में किया जाए करते थे। स्त्रियों एवं शुद्र को वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी। लेकिन यह पुराणों को बैठकर सुन सकते थे, मनुस्मृति सबसे पुराने स्मृति माने जाती है इसमें शुंग काल का वर्णन है। गुप्त युग का वर्णन नारद स्मृति में मिलता है।

बुध के पूर्व जन्म की कहानी का वर्णन जातक कथाओं में मिलता है। जबकि हीनयान की प्रमुख ग्रंथ कथावस्तु है। जिसमें बुद्ध की जीवन के अनेक कथाओं का वर्णन है। आगम जैन ग्रंथ है कल्पसूत्र भद्रबाहु से जैन धर्म के प्रारंभिक इतिहास का वर्णन मिलता है। भगवती सूत्र में महावीर के कार्यों का उल्लेख शामिल है मिलता है।

कौटिल्य, चाणक्य, विष्णुगुप्त ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखा है। इसमें मौर्यकालीन सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन का वर्णन मिलता है। चाणक्य चंद्रगुप्त के गुरु थे। यह चंद्रगुप्त मौर्य बिंदुसार एवं अशोक तीनों सम्राटों के शासनकाल में रहे।

संस्कृत सहित साहित्य में ऐतिहासिक घटनाओं के लिखने का क्रम कलर द्वारा लिखित पुस्तक राज तरंगिणी से है जिसमें कश्मीर के इतिहास का वर्णन है, संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक पाणिनि द्वारा रचित पुस्तक अष्टाध्याई है। इस पुस्तक में मौर्य काल से पूर्व के इतिहास की जानकारी मिलती है, गार्गी संहिता संहिता कात्यायन ने ज्योतिष पुस्तक लिखी जिसमें भारत पर सर्वप्रथम आक्रमण करने वाले हिंदू वनो का वर्णन है, अरबों की सिंध विजय की कहानी चचनामा अली अहमद ने लिखी है।

विदेशी यात्रियों द्वारा प्राप्त ऐतिहासिक साक्ष्य

1- मेगास्थनीज- सेल्यूकस का राजदूत था यह बिंदुसार के राज्य दरबार में आया था।

2- हेरोडोटस= इसे इतिहास का पिता भी कहा जाता है इस की पुस्तक का नाम हिस्टोरीका है। जिसमें पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत एवं पारस के संबंधों का वर्णन है।

3-टेरीयस= यह यूनान का राज्य वाद्य था इसने भारत के संबंध में अनेक रोचक कहानियों का वर्णन किया है ।4-डाईमेकस=सीरिया के राजा अंतियो काश का राजदूत था यह भी सेल्यूकस के अलावा बिंदुसार के दरबार में आया था।

टालमी ने भारत का भूगोल तथा प्ललीनी ने नेचुरल हिस्ट्री नामक पुस्तक लिखी इसमें भारतीय पशु पेड़ पौधों का वर्णन है।

फाह्यान एक चीनी यात्री था जो गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय के राज दरबार में आया था। इसने अपनी पुस्तक में मध्य प्रदेश राज्य के बारे में विस्तार से वर्णन किया है।

व्हेनसॉन्ग हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था यह 629 ई में चीन से भारत के लिए निकला और लगभग 1 साल की यात्रा के बाद भारतीय राज्य का कपिशा पहुंचा। यह भारत में कुछ महीने के लिए ही आया था लेकिन यह बिहार के नालंदा जिले में नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध ग्रंथों के संकलन के लिए आया था, 15 सालों तक रुका और 645 ईसवी में चीन को वापस लौट गया इस की पुस्तक का नाम शियुकी है। जिसमें 138 देशों का वर्णन मिलता है जब व्हेनसांग नालंदा में अध्ययन कर रहा था उस समय वहां का आचार्य शीलभद्र (जैन) थे।

ईत्सिंग यह सातवीं शताब्दी के अंत में भारत आया और अपने विचरण के मैं नालंदा विश्वविद्यालय विक्रमशिला विश्वविद्यालय आदि का भ्रमण किया था।

अरबी लेखक अलबरूनी यह गजनी के शासक महमूद गजनबी के समय भारत आया था इसकी अरबी भाषा में लिखी गई पुस्तक किताब उल हिंद/ तहकीक ए हिंद (भारत की खोज) है इस पुस्तक में राजपूत काल के समाज, धर्म, रीति-रिवाज, और राजनीति का वर्णन किया गया है।

 तारानाथ यह एक तिब्बती लेखक था जिसकी पुस्तकों का नाम कंगयुर, तंगयुर है।

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