रक्त का लगभग 55% भाग तरल होता है जिसे प्लाज्मा कहते हैं इसमें पानी प्रोटीन लवण हार्मोन इत्यादि होते हैं शेष 45% भाग रक्त कणिकाएं ब्लड कॉरपसल्स का बना होता है जो कि तीन प्रकार के होते हैं
1- RBC or Erythrocytes
2-WBC OR leucocytes
3-Blood Platelets
(1)-RBC ये सभी कशेरुकी प्राणियों में मिलती है स्तनधारियों की आरबीसी में नाभिक नहीं होता उठ तथा लामा को छोड़कर
स्तनधारियों की आरबीसी सबसे छोटी तथा उभयचर के आरबीसी सबसे बड़ी होती है।
स्तनधारियों में हाथी की आरबीसी सबसे बड़ी तथा कस्तूरी मृग की आरबीसी सबसे छोटी होती है।
आरबीसी में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन मिलता है जो कि ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन करती है इसमें लौह तत्व होता है।
Blood-RBC -hemoglobin -iron (fe)
आयरन के कारण रक्त लाल होता है।
यह हमारे शरीर में सबसे अधिक मात्रा में मिलने वाली एक प्रकार की कोशिका है
वह 50 55 lakh/mm cube
45 to 50 lakh/ mm cube
RBC -अगर आरबीसी की संख्या सामान्य से अधिक होती है तो Polucythemia तथा अगर इसकी संख्या समय से कम हो जाती है तो एनीमिया हो जाता है।
(2)-WBC- यह पांच प्रकार के होते हैं
1-Acidophilills यह एलर्जी से हमारी सुरक्षा करते हैं
2-Basophills जब कोई रसायन शरीर में प्रवेश कर जाता है तो यह उससे सुरक्षा प्रदान करते हैं।
3-Neutrophills / Heterophills- यह भक्षण कारी प्रवृत्ति की होती है जो की संख्या में सबसे अधिक तथा आकार में सबसे छोटी डब्ल्यूबीसी है इसे माइक्रो पाली कॉमन ऑफ ब्लड भी कहते हैं।
4-Monocyte यह भी भक्षण कारी प्रवृत्ति की होती है तथा आकार में सबसे बड़ी डब्ल्यूबीसी है।
5-Lymphocyte यह रक्त का थक्का बनने में सहायता करते हैं यह फाइब्रिनोजेन प्रोटीन का निर्माण करते हैं।
इस प्रकार पांच प्रकार की डब्ल्यूबीसी शरीर के सुरक्षा करती है जिन्हें चलता फिरता दलिया मोबाइल फोर्स कहते हैं इनमें नाभिक होता है इनकी संख्या 8000 से 9000 एमएम क्यों होती है।
इनकी संख्या सामान्य से कम हो जाने पर ल्यूकोपेनिया तथा सामान्य से अधिक हो जाने पर Leukemia या ब्लड कैंसर रोग होता है।
(3)- Blood platelets
इसकी संख्या 200000 से 500000 होती है इसका कार्य रक्त का थक्का जमाना होता है ब्लड क्लोटिंग।
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