उत्पादन मैं योगदान ना देना ही बेरोजगारी है यहां उत्पादन से तात्पर्य वस्तु एवं सेवा क्षेत्र दोनों से है अर्थात यदि कोई भी व्यक्ति कोई कार्य न करें उत्पादन से संबंधित या सेवा से संबंधित उसे बेरोजगार कहते हैं बेरोजगारी दो प्रकार की होती है
1-ऐच्छिक बेरोजगारी
2-अनैच्छिक बेरोजगारी
ऐच्छिक बेरोजगारी-यदि किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए अवसर मिलता है फिर भी वह कार्य करने के लिए जानबूझकर कार्य नहीं करता इस कारण से वह बेरोजगार रहता है अर्थात जानबूझकर उत्पादन में योगदान ना देना एग्जिट बेरोजगारी कहलाती है भारत में इस प्रकार की बेरोजगारी दो से तीन प्रतिशत है।
अनैच्छिक बेरोजगारी अनैच्छिक बेरोजगारी उस स्थिति को कहते हैं जब किसी व्यक्ति को कोई कार्य नहीं मिलता है जबकि वह कार्य की तलाश करता रहता है अर्थात कार्य करने की इच्छा रहने पर भी किसी व्यक्ति को कोई बेरोजगार रोजगार ना मिले अनैच्छिक बेरोजगारी कहलाती है भारत में अनेक शिक बेरोजगारी अधिक है।
अनैच्छिक बेरोजगारी के स्वरूप
भारत में निम्न प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है।
अल्पकालीन बेरोजगारी यदि व्यक्ति को थोड़े समय के लिए कुछ घंटे या कुछ दिन या कुछ महीने के लिए कार्य मिल पाता है बाकी बीच-बीच में उसे कार्य नहीं मिलता है ऐसी बेरोजगारी को अल्पकालीन बेरोजगारी कहते हैं।
संरचनात्मक बेरोजगारी संरचना में होने वाले परिवर्तन के आधार पर होने वाली बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी कहते हैं उदाहरण जिस उद्योग में पहले कंप्यूटर नहीं था तो सभी श्रमिक कार्य करते थे लेकिन उस उद्योग में कंप्यूटर की व्यवस्था हो जाने पर कुछ श्रमिक बेरोजगार हो जाते हैं क्योंकि याद तो उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान नहीं रहता या उतनी श्रमिकों की आवश्यकता नहीं होती भारत में सबसे अधिक संरचनात्मक बेरोजगारी पाई जाती है।
मौसमी बेरोजगारी वर्ष की किसी निश्चित अवधि या मौसम में कामना मिलना ही मौसमी बेरोजगारी कहलाती है उदाहरण कृषि श्रमिक जुलाई से लगभग अप्रैल तक कृषि का कार्य करते हैं लेकिन अप्रैल से जून तक उसको बेकार बैठना पड़ता है।
घटनात्मक बेरोजगारी याद चक्रीय बेरोजगारी इसी को चक्रीय बेरोजगारी भी कहते हैं मांग एवं पूर्ति पर आधारित बेरोजगारी चक्रीय बेरोजगारी कहलाती है यदि किसी व्यक्ति की बाजार में मांग घट जाए या अधिकतम पूर्ति हो जाए तो वस्तु का उत्पादन - पड़ता है जिसके कारण उत्पादन में लगे हुए मजदूर की संख्या भी करानी पड़ती है अतः वे मजदूर जो इस आधार पर बेरोजगार हो जाते हैं चक्रीय बेरोजगारी के अंतर्गत आते हैं।
प्रश्न याद छिपी बेरोजगारी इसे छिपी हुई या अदृश्य बेरोजगारी भी कहते हैं जब व्यक्ति बाहर से तो काम लगा हुआ दिखाई देता है लेकिन यदि उस व्यक्ति को उस कार्य से बाहर हटा दिया जाए फिर भी वस्तु की सीमांत उत्पादन में कोई परिवर्तन नहीं पड़ता है छिपी बेरोजगारी कहलाती है या किसी कार्य को करने के लिए अधिक श्रमिक लगे हुए हैं जबकि वह कार्य कुछ श्रमिक मिलकर भी कर सकते हैं जो श्रमिक अधिक थे उनको यदि कार्य से हटा दिया जाए तो भी उत्पादन में कोई परिवर्तन नहीं पड़ेगा अतः जिसमें श्रमिक कार्य में अधिक लोग थे वह बाहर से कार्य करते हुए दिखाई दे रहे थे वह वास्तव में छिपी बेरोजगारी में थे अदृश्य बेरोजगारी सबसे बड़ा उदाहरण कृषि क्षेत्र है।
शैक्षिक बेरोजगारी जब व्यक्ति शिक्षित और अशिक्षित होते हुए भी कार्य नहीं मिलता है तो ऐसी बेरोजगारी को शैक्षिक बेरोजगारी कहते हैं।
ग्रामीण बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्ति को काम ना मिलना ग्रामीण बेरोजगारी कहलाती है जैसे बहुत से कृषक मजदूर हैं जिसको हमेशा कार्य नहीं मिल पाता है।
शहरी बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में व्याप्त बेरोजगारी शहरी बेरोजगारी कहलाती है यहां खुली प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है खुली बेरोजगारी ऐसी बेरोजगारी होती है जिसमें व्यक्ति कोई भी कार्य करने के लिए तैयार रहता है उसके बावजूद भी उसे कार्य नहीं मिल रहा है और बिना कार्य किए उसे गुजर-बसर करना पड़ता है।
बेरोजगारी का मापन
बेरोजगारी के मापन के लिए सन 1973 में भी भगवती ने निम्नलिखित तीन आधार बताया उन्होंने कहा कि किसी देश की बेरोजगारी का मापन निम्न तीन आधारों से किया जाता है।
सामान्य स्थिति बेरोजगारी
यदि किसी व्यक्ति को वर्ष के एक भी दिन काम ना मिला हो या 1 वर्ष के एक भी दिन काम ना किया हो तो ऐसी स्थिति को सामान्य स्थिति बेरोजगारी कहते हैं यहां 1 वर्ष से तात्पर्य 183 दिन है अधिक दिनों से है अतः यदि कोई व्यक्ति साल के 183 दिन से अधिक कार्य न किया हो तो उसे सामान्य स्थिति बेरोजगार कहते हैं वर्तमान में सामान्य स्थिति के आधार पर बेरोजगारी 210 में 2% है।
चालू साप्ताहिक बेरोजगारी
यदि कोई व्यक्ति सप्ताह के एक भी दिन काम ना किया हो तो ऐसी स्थिति को चालू साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी कहते हैं वर्तमान में भारत में 3.7% है।
चालू दैनिक स्थिति बेरोजगारी
यदि कोई व्यक्ति एक दिन कार्य न करें तो उसे चालू दयनीय स्थिति बेरोजगारी कहेंगे यदि व्यक्ति 4 घंटे से अधिक कार्य किया है तो उसे 1 दिन का कार्य मानेंगे और यदि 4 घंटे से कम लेकिन 2 घंटे से अधिक कार्य किया है तो उसे आधे दिन का कार्य कहेंगे और यदि 1 घंटे में से कम कार्य करें तो उसे कार्य में गणना नहीं करेंगे।
वर्तमान में यह बेरोजगारी भारत में 5.6% है।
भारत में चालू दैनिक स्थिति बेरोजगारी सर्वाधिक है भारतीय अर्थशास्त्री प्रोफेसर राज्य कृष्ण भारत में बेरोजगारी मापन के लिए सबसे उत्तम आधार चालू दैनिक स्थिति बेरोजगारी को माना क्योंकि इसका मूल्यांकन व्यापक पैमाने पर होता है और इसके आंकड़े भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं योजना आयोग ने 11 पंचवर्षीय योजना में चालू दैनिक स्थिति बेरोजगारी के आधार पर ही बेरोजगारी का मापन किया है भारत में बेरोजगारी एक एवं गरीबी संबंधित आंकड़ों को एनएसएसओ करता है
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन एनएसएसओ नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन।
एनएसएसओ का गठन 1950 में किया गया इसका प्रतिदर्श सर्वेक्षण का मुख्यालय कोलकाता में है जबकि कार्यसल
मुख्यालय नई दिल्ली है इसके गठन का मुख्य उद्देश्य विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप आंकड़ों को जुटाना है।
सर्वाधिक पुरुषों को रोजगार दिलाने वाला शहर सूरत है सर्वाधिक महिलाओं को रोजगार दिलाने वाला शहर वाराणसी है सबसे कम विरोध रोजगार दिलाने वाला शहर पटना है।
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