ब्रह्मांड का स्वरूप structure of universe
क्या आपने कभी सोचा है कि वह कौन सी शक्तियां हैं जो पूरे ब्रह्मांड की छोटी-बड़ी सभी वस्तुओं को आपस में बात करती हैं वैज्ञानिकों ने अब तक चार ऐसे बलों की खोज की है जो इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं यह बल है गुरूत्वकर्षण बल, विद्युत चुंबकीय बल, प्रबल या दृढ़बल और कमजोर या छिड़ बल।
गुरुत्वाकर्षण बल से आप और हम भलीभांति परिचित हैं। इस बल के कारण ही ऊपर फेंका गया पत्थर धरती पर वापस आता है। उपग्रह और ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। और इसके कारण ही आकाशगंगा के 150 करोड़ से भी ज्यादा तारे एक व्यवस्था से बंधे रहते हैं। गैलीलियो ने (1564 से 1642) ने मुक्त रूप से गिरते पिंडों का अध्ययन करके गुरुत्व का नियम दिया था। जड़त्व सभी कारणों और पिंडों का अभिन्न अंग है। इसके बाद न्यूटन ने (1642 से 1727) ने गुरुत्वाकर्षण के लिए एक गणितीय नियम की प्रस्तुति कर बताया कि विशाल पिंडों के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव अनन्त दूरियों तक रहता है। लेकिन न्यूटन गुरुत्वाकर्षण का केवल मापन ही कर पाए थे। दो आकाशीय पिंडों के बीच वह बल किस साधन से किस माध्यम से और किस वेग से काम करता है। न्यूटन ने इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी। बीसवीं शताब्दी के आरंभ में आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण को एक नए ढांचे में प्रस्तुत कर यह जानकारी दी, इस टाइम के अनुसार इस बल के माध्यम के लिए गुरुत्व तरंगों और इस बल के प्रसारण के लिए एक विशेष किस्म के सूक्ष्म कडो उन का अस्तित्व होना चाहिए। हालांकि इसके बाद ही गुरुत्वाकर्षण की गुत्थी सुलझी नहीं और अभी भी गुरुत्वीय तरंगों की खोज जारी है।
विद्युत चुंबकीय बल की खोज 19वीं सदी की देन है आदमी को चुंबक पत्थर की आकर्षण शक्ति पहले से ही मालूम थी। लेकिन वस्तुओं में यह चुंबक शक्ति बिजली की धारा प्रवाहित करके भी पैदा की जा सकती है। यह जानकारी लगभग डेढ़ सौ साल पहले ही मिली इसमें चुंबक और विद्युत की शक्ति को एक विद्युत चुंबकीय बल में संयुक्त अथवा संभव हुआ बाद में मैक्सवेल 1831 से 1879 में इस बल के प्रभाव क्षेत्र के लिए गणितीय आधार भी प्रस्तुत कर दिया। यह बल परमाणुओ को एक दूसरे से बांधता है। हमारी डेली रूटीन की अनगिनत चीजें यहां तक कि हमारी शारीरिक रचना भी इसी बल के कारण टिकी हुई है, यह बल आवेशित कणों के बीच न्यूटान की सहायता से काम करता है यह गुरुत्वाकर्षण के करीब 10-40 गुना ज्यादा शक्तिसाली है इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बात है। कि गुरुत्वीय बल में केवल आकर्षण बल का करता है। जबकि इस बल में आकर्षण प्रतिकर्षण दोनों काम करते हैं इसलिए विद्युत चुंबकीय बल को परस्पर क्रिया करना कहना ज्यादा उपयुक्त होगा।
इन दोनों दोनों दलों के कारण 20वीं सदी में दो और बलों की खोज की गई नए बलों को समझने के लिए पहले परमाणु की आंतरिक रचना के बारे में कुछ छोटी-मोटी बातें जानना जरूरी है हम सभी जानते हैं कि परमाणु अखंड नहीं है और इनमें एक नाभिक होता है परमाणु नाभिक में मुख्यतः दो प्रकार के कण होते हैं प्रोट्रांस जिस पर धन आवेश होता है और न्यूट्रांस जो आवेश रहित होते हैं नाभि के चारो और ऋण आवेश वाले इलेक्ट्रॉन ना मक्कड़ चक्कर लगाते रहते हैं परमाणु में जितने प्रोग्राम होते हैं। उतने ही इलेक्ट्रॉन भी होते हैं इस अभी परिवेश के कारणों के बीच विद्युत चुंबकीय बल काम करता है जिसके कारण परमाणु नाभिक और उसका चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉनिक दूसरे ए के साथ बने रहते हैं यदि प्रकृति में चुंबकीय बल नहीं होता तो ना तो परमाणु होते और ना ही किसी सजीव व निर्जीव का अस्तित्व होता नाभिक में न्यूट्रॉन पर आवेश होते हैं ।इसलिए इनको बांधे रखने के लिए किसी बल्कि जरूरत नहीं है। लेकिन अब यहां एक पंगा है हम जानते हैं कि समान आवेश वाले एक दूसरे को दूध खेलते हैं और विपरीत आवेश वाले एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। इस हिसाब से देखें तो प्राण को स्वयं एक दूसरे को दूध केला चाहिए क्योंकि सभी प्रोटॉन पर आवेश होता है।
लेकिन नाभिक में ऐसा नहीं होता उल्टे सभी प्रोग्राम एक दूसरे के साथ दृढ़ता से बने रहते हैं इस कारण की खोज के लिए काफी गहराई से सोचने पर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि गुरुत्वाकर्षण और विद्युत चुंबकीय बल के कारण कोई तीसरा बल भी उपस्थित है। जो प्रोग्राम को आपस में बांधे रखते हैं और यह बल पहले दोनों दलों से ज्यादा शक्तिशाली है। वैज्ञानिकों ने इसे प्रबल बल का नाम दिया जो विद्युत चुंबकीय बल से 10 की घात ए 2 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। यह बल नाभिक के भीतर केवल कुछ ही दूर तक 10 के पावर माइनस 15 मीटर तक काम करता है। बाद में जब परमाणु नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के अलावा अन्य अति सूक्ष्म कणों की खोज हुई तो वैज्ञानिकों ने नाभिक में एक चौथे बल की भी खोज की यह नए करना भी के भीतर एकाएक जन्म लेते हैं। भर के लिए नाभिक के भीतर ही यात्रा करते हैं और फिर दूसरे कानों में रूपांतरित हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने खोज की कि इन कणों की उत्पत्ति किस बल के कारण होती है इसी बल के कारण प्रकृति के कुछ तत्वों में नाभि की बड़ी तेजी से छह होती रहती है इसको हम रेडियोधर्मिता रेडियो एक्टिविटी के नाम से जानते हैं।इस बल को वैज्ञानिकों ने छल का नाम दिया है बल्कि करीब 10 के पावर 10 गुना कमजोर होता है यही चावल पूरे ब्रह्मांड को एक व्यवस्थित ढंग से बांधे रखते हैं ब्रह्मांड के विकास क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जब महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई हुई तो द्रव्य और ऊर्जा का फैलाव शुरू हुआ द्रव्य और ऊर्जा के साथ-साथ स्पेस और टाइम का भी विस्तार आरंभ हुआ।महा विस्फोट के बाद शुरुआत क्षणों में ब्रह्मांड का तापमान बहुत ऊंचा था। उस समय यह चारों बल एकीकृत थे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के 3 मिनट बाद ही तापमान इतना घट गया किधर डबल सक्रिय हो गया इस बल ने प्रोटॉन और न्यूट्रॉन ओं को बांधकर नाभिक का निर्माण कर दिया इसके लगभग 500000 साल बाद विद्युत चुंबकीय बल सक्रिय हुआ। और इसने नागरिकों और इलेक्ट्रॉनों को आपस में बांधकर परमाणु का निर्माण कर दिया बाद में जब तारे ग्रह उपग्रह व दूसरे आकाशीय पिंड अस्तित्व में आए तो गुरुत्वाकर्षण बल सक्रिय हो गया वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड के शुरुआती क्षणों में भी सभी बल संयुक्त रहे इसलिए पिछले कई दशकों से इन बलों को संयुक्त करने का प्रयास चल रहा है विद्युत चुंबकीय बल व आंशिक या नीचे डबल को एक करने में वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई है। और इनके साथ डबल को भी संयुक्त करने में इन्होंने आंशिक सफलता हासिल कर ली है लेकिन आकर्षण बल को अन्य बलों के साथ जोड़ने में कठिनाई आ रही है। ने भी इस दिशा में कई साल प्रयास किए लेकिन वे सफल नहीं हुए इसके प्रयास आज भी जारी है। यदि यह चारों एक साथ जुड़ जाए तो कई सदियों से चले आ रहे भौतिकी के सारे नियम में भूचाल आना लाजमी है।
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