कोशिका ,कोशिका के प्रकार,Cell , type of Cell

कोशिका ,कोशिका के प्रकार,Cell , type of Cell

कोशिका खोजकर्ता रॉबर्ट हुक 
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने की थी प्रत्येक जीवधारी की संरचना एवं क्रियात्मक इकाई कोशिका है  स्वान ने कोशिका का सिद्धांत दिया जिसके अनुसार प्रत्येक जीवधारी का निर्माण कोशिका एवं कोशिका द्वारा उत्पादित पदार्थों से होता है।
विरचो के अनुसार "नई कोशिका का जन्म पुरानी कोशिका से होता है।"
 कोशिका -उतक- अंग -अंग तंत्र- शरीर
सबसे छोटी कोशिका -माइकोप्लाजमा लडलवार्ड
PPLO -Plauro Pneumonic like organism.
*इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज नोल एवं स्का ने की।
*सबसे बड़ी कोशिका (भार में) शुतुरमुर्ग का अंडा 
*सबसे लंबी कोशिका तंत्रिका तंत्र की (न्यूरॉन)
*अमीबा और डब्ल्यूबीसी WBC अपनी आकृति बदलने वाली कोशिका है।
जंतुुुु कोशिका और वनस्पतिििि कोशिका में अंतर

जंतु कोशिका-
1-इसमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है 2-इसमें लवक नहीं पाया जाता है 3- इसमें रिक्तिका संख्या में अधिक एवं छोटी-छोटी पाई जाती हैं।
4-जंतु कोशिका में तारक काय पाया जाता है।

वनस्पति कोशिका 
1-इसमें कोशिका भित्ति पाई जाती है।
2-इसमें लवक पाया जाता है।
3- इसमें रिक्तिका दो या तीन तथा बड़ी पाई जाती है।
4- इसमें तारक काय नहीं पाया जाता है कुछ अपराधो को छोड़कर।
कोशिका के प्रकार types of cell
कोशिका दो प्रकार की होती है।
 1-यूकैरियोटिक, 2-प्रोकैरियोटिक

1-प्रोकैरियोटिक कोशिका
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में सभी पदार्थ कोशिका कला के अंदर बिखरे रहते हैं। एक जगह पर अलग-अलग ना तो उस एकत्रित रहते हैं। और न ही किसी जुली से घिरे रहते हैं जैसे बैक्टीरिया एवं नील हरित शैवाल।

2-यूकैरियोटिक कोशिका
इस कोशिका के सभी पदार्थ अलग-अलग झिल्ली द्वारा अलग-अलग जगहों पर बंधे रहते हैं। यह सभी आधुनिक जीवो में पाए जाते हैं। जैसे सभी जंतु एवं वनस्पति।

1-कोशिका भित्ति
इसका निर्माण लिगनेन 13 एवं सेल्यूलोज से होता है। जिसकी वजह से कोशिकाएं कठोर होती हैं।

2-कोशिका कला
कोशिका कला का निर्माण पास की फास्ट फुल लिपिड एवं प्रोटीन से मिलकर हुआ है। यह अर्ध पारगम्य झिल्ली की तरह व्यवहार करती है अर्थात कोशिका कला द्वारा परासरण की क्रिया संभव हो पाती है।

3-परासरण
परासरण की क्रिया सिर्फ अर्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा ही होती है इस क्रिया में सिर्फ विलायक केकड़ ही अर्ध पारगम्य झिल्ली के बार आर-पार आ जा सकते हैं परासरण की क्रिया को दो भागों में बांटते हैं
1 अंतः परासरण
2-वाह परासरण
1 अंतः परासरण-जब विलायक काकड़ बाहर से अंदर की तरफ आता है। तो यह क्रिया अंतः परासरण कहलाती है। जैसे चना या किसमिस का पानी में फूल जाना।
2-वाह्या परासरण-जब विलायक का कण अंदर से बाहर की तरफ जाता है। तो यह क्रिया वाह परासरण कहलाती है जैसे अंगूर का चीनी के गाड़ी घोल में पिचक जाना।

4-विसरण
इस क्रिया में खुद विलय काकड़ ही विलायत या विलियन में जाता है। विसरण की क्रिया के लिए अर्ध पारगम्य झिल्ली की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे अगरबत्ती के धुए का पूरे कमरे में फैल जाना सेंट की शीशी का ढक्कन खुला होने पर पूरा कमरा सुगंधित हो जाना डिस्प्रिन की गोली का घूलना।

5-Ribosomes - यह कोशिका द्रव में भी बिखरे होते हैं। एवं अंतरद्रव्य जालिका पर चिपके होते हैं।राइबोसोम आर एन ए की सहायता प्रोटीन का निर्माण करते हैं प्रोटीन के निर्माण करने के कारण ही इसे प्रोटीन की फैक्ट्री कहा जाता है। राइबोसोम खुद प्रोटीन और आर एन ए से मिलकर बना होता है।

6-रितिका या रसधानी
इसमें सभी खाद्य पदार्थ आकर स्टोर होते हैं खाद्य पदार्थ एमीनो एसिड ग्रीस राल वसीय अम्ल एवं मोनू साइकिल राइड के रूप में संग्रहित रहते हैं इस प्रकार खाद्य पदार्थों का संग्रह करने के कारण ही रितिका को कोशिका का भंडार गृह कहते हैं।

7-अंतर द्रव्य जालिका
अंतर द्रव्य जालिका का विस्तार केंद्र से लेकर कोशिका कला तक होता है यह कोशिका को यांत्रिक सहारा ढांचा प्रदान करता है इसके अलावा यह पदार्थों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन भी करता है इसी कारण इसे यातायात प्रबंधक किया ट्रैफिक पुलिस कहा जाता है यह दो प्रकार की होती है ।

1- चिकनी अंतर द्रव्य जालिका-
वह अंतर द्रव्य जालिका जिस पर राइबोसोम के कार्ड नहीं छुप के होते हैं चिकनी अतः द्रव्य जालिका कहलाती है।
2-खुरदरी अंतर द्रव्य जालिका-
जिस पर राइबोसोम के कारण चिपके रहते हैं उसे खुरदरी अंतर द्रव्य जालिका कहते हैं।

8-गॉल्जीकाय
कोशिका विभाजन के समय यह प्लेट का निर्माण करती है।

9-लाइसोसोम सिया लव काय
इस समय हाइड्रेसेज नामक एंजाइम पाया जाता है जो खाद्य पदार्थों का पाचन करता है एवं वन्य पदार्थों को नष्ट भी करता है कभी-कभी यह अपने को ही बचा लेता है और नष्ट हो जाता है इसलिए इसे आत्महत्या की थैली कहा जाता है।

10-तारक काय
यह कोशिका विभाजन तारक का विभाजन करता है यह जंतु कोशिका में पाया जाता है

11-माइट्रोकांड्रिया
Image
श्वसन की क्रिया वास्तव में माइट्रोकांड्रिया से होती है इस क्रिया में खाद्य पदार्थों का ग्लूकोस ऑक्सीजन से क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड और जल उत्पन्न करते हैं तथा 673 किलो कैलोरी ऊर्जा मुक्त होती है।
Formula
वास्तव में श्वसन की क्रिया दो चरणों में पूरी होती है पहले चरण में कोशिका द्रव्य में ग्लूकोस पयिरूवीक  एसिड में बनता है।
तथा दूसरा चरण माइट्रोकांड्रिया में पूरा होता है जिसमें पायरो विक एसिड और ऑक्सीजन ऑक्सीकरण की क्रिया द्वारा जल एवं CO2 का निर्माण करते हैं तथा ऊर्जा मुक्त करते हैं 
दूसरे चरण को क्रेब्स चक्र कहा जाता है
Formula
मुक्त ही उर्जा को एडीपी ग्रहण करके एटीपी में बदल देता है एडीपी माइट्रोकांड्रिया में पहले से उपस्थित रहती है ।
ADP+ ऊर्जा= ATP
अब हमें जब भी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है एटीपी पुनः ए डीपी में बदल जाता है और ऊर्जा मुक्त कर देता है।
ऊर्जा संचय के कारण ही माइट्रोकांड्रिया को कोशिका का ऊर्जा का भंडार ग्रह कहा जाता है डी एन ए केंद्रक के अलावा माइट्रोकांड्रिया में भी उपस्थित रहता है।

Post a Comment

0 Comments