खिलजी वंश 190-1320तक || Khilji dinesty 1290-1320 || Video Online Classes And PDf
खिलजी वंश (1290-1320)
खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था। इस के बचपन का नाम मलिक फिरोज खिलजी था। इसके अपना राज्याभिषेक किलखोर करवाया था। और किलखोर को अपनी राजधानी बनाया था। कैमूर की हत्या करने के बाद पूरे 1 वर्ष तक दिल्ली में प्रवेश नहीं किया। इसके समय में 1292 इसवी में मंगोल आक्रमणकारी अब्दुल्ला ने आक्रमण किया।सुल्तान ने उसे समझौता करके उसे दिल्ली में रहने की अनुमति दे दी, और मंगोलों के लिए मंगोलपुर (मंगलपुर) नामक शहर बसाया।
इसने दीवान एवं कूफ नामक एक विभाग की स्थापना की। जिसका कार्य व्यय के कागजातों का देखभाल करना था।
इसने दिल्ली में एक सिद्धि मौला को हाथी से कुचलकर मार दिया था। और कहता था मैं 70 साल का वृद्ध मुसलमान हूं। और मुसलमानों का रक्त बहाना मेरी आदत नहीं। कड़ा मानिकपुर कौशांबी में मलिक छज्जू का विद्रोह हो जाने के बाद अलाउद्दीन को कड़ा मानिकपुर में भेज दिया गया। वहां अलाउद्दीन ने विद्रोह को दबा दिया, और बाद में उसे कड़ा मानिकपुर का सूबेदार बना दिया। 1296 में धोखे से अलाउद्दीन ने अपने भाई इलियास बे की सहायता से चाचा जलालुद्दीन की हत्या कर दी।
अलाउद्दीन खिलजी 1296-1316
इसके बचपन का नाम अली गुरसाज था। सर्वप्रथम यह अमीर ए तुुजुक के पद पर था। इसके इसने अपना अभिषेक बलवंत द्वारा निर्मित किला लाल महल दिल्ली में करवाया। जलालुद्दीन के समय में इनाम पेंशन बक मिल्क आदि में दी गई समस्त भूमियों को जप्त करा दिया। और उसे खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया। इसने गुप्तचर व्यवस्था का संगठन किया। जिसमें वाहनों की नियुक्ति के इसने अमीरों के आपसी मेलजोल पर प्रतिबंध लगा दिया। जुआ खेलना वह भांग खाने आदि पर रोक लगा दिया बकाया लगान की वसूली के लिए दीवान ए मुस्तफा राज नाम विभाग की स्थापना की इस के समय में भू राजस्व की दर 1 बटा 2 थी जो पूरे दिल्ली सल्तनत में सर्वाधिक थी।
विजय
उत्तर भारत अभियान
1-गुजरात 1298 ईस्वी शासक राजा कर्ण बघेल
इस की पुत्री का नाम देवल देवी था। इसी विजय के बाद नुसरत खाने मलिक काफूर नामक एक हिजड़े हिंदू को 1000 दिनार में खरीदा हजार दिनारी में खरीदने के कारण इसे हजार दिनारी के नाम से जाना जाता जाता इसे सर्वप्रथम नायक का पद दिया गया।
2-रणथंभौर 1301 हमीर देव
इसका वर्णन तारीख ए अलाई में मिलता है हमीर देव ने पूरे परिवार के साथ जौहर कर लिया था और इसी विषय के दौरान नुसरत खान की मृत्यु हो गई।
3-चित्तौड़ 1303 राणा रतन सिंह
28 January 1303 को अलाउद्दीन चित्तौड़ पर आक्रमण किया लगभग 7 महीने कठिन संघर्ष के बाद 26 अगस्त 1303 को किले पर अधिकार कर लिया राणा रतन सिंह लड़ते हुए शहीद हुए उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने जौहर कर लिया।
अलाउद्दीन गुस्से में आकर लगभग 30,000 राजपूतों का कत्ल करवा दिया और चित्तौड़ का नाम बदलकर अपने पुत्र के नाम खिजराबाद कर दिया।
4-मालवा विजय 1305 महलत देव
महंत देव ने अपने महल की एक नौकरानी गुले बरिस्ता की अध्यक्षता में एक से ना भेजें और घेरे के दौरान गुले बहिष्कार की मृत्यु हो गई।
दक्षिण भारत का विजय
दिल्ली सल्तनत में सबसे पहले दक्षिण भारत को जीतने का प्रयास अलाउद्दीन खिलजी ने किया। लेकिन अलादीन की इस दक्षिण भारत की विजय का श्रेय है।उसके जनरल मलिक काफूर को जाता है।
1- देवगिर अभियान 1307-1308 रामचंद्र देव
मलिक काफूर के नेतृत्व में एक सेना देवगिरी की तरफ चल दी रास्ते में राजा कर्ण बघेल को परास्त कर उसकी पुत्री देवल देवी को दिल्ली भेज दिया गया। जहां उसका विवाह खिज्र खां से कर दिया गया अमीर खुसरो ने अपनी पुस्तक आशिका के माध्यम से देवल देवी और खिज्र खां के प्रेम कहानी का वर्णन किया है। देवगिरी पहुंचकर मलिक काफूर ने भयानक लूटपाट किया। राम चंद्र देव ने समर्पण कर लिया। उन्हें सुल्तान के समक्ष पेश किया गया सुल्तान ने उसे राय रायन की उपाधि से विभूषित किया। एक लाख तक का मुद्रा भेट किया साथ में नवसारी की जागीर भी दे दी।
2-तेलंगाना विजय 1310 प्रताप रूद्र देव।
काकतिय वंश का राजा था प्रताप रूद्र देव तेलंगाना पर काकतीय वंश राजा राज्य करते थे। उसने अपने सोने की मूर्ति से सोने की जंजीर डालकर मलिक काफूर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। और उसे कोहिनूर हीरा प्रदान किया कोहिनूर हीरा गोलकुंडा की खान से निकाला गया था।
3-होयसल विजय
शासक वीर बलवान तृतीय इसकी राजधानी द्वार समुद्र थी। इस ने आत्मसमर्पण कर दिया सुल्तान ने इसे 200000 तक का मुद्रा भेंट में दी।
4-पांडेय विजय मालाबार
यहां दो भाइयों में सुंदर पांडे और वीर पांडे में सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा था सुंदर पांडे पराजित हुआ। और मलिक काफूर को आमंत्रित किया मलिक काफूर के वहां पहुंचने पर वीर पांडे वहां से भाग गया मलिक काफूर ने वहां लूटपाट की।
Note आर्थिकदृष्टि से अलाउद्दीन का यह सबसे सफल आक्रमण था अमीर खुसरो के अनुसार उसने रामेश्वर तक सारे मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का आदेश दे दिया।
स्थापत्य कला
(कर)
घरी कर- घरों पर झोपड़ियों पर।
चरी कर- दुधारू पशुओं पर लगाया गया।
खुम्स-- यह लूट का धंधा 1/5 भाग सैनिकों और 4/5 राजकोषीय में जमा होता था।
जकात- यह एक धार्मिक कर था जो हर मुसलमान अपनी स्वेच्छा से अपनी आय का 2/5 भाग दान करें।
खराज-- यह भूमि कर।
1316 में जलोदर रोग से ग्रसित होकर इसकी मृत्यु हो गई।
बाजार नियंत्रण प्रणाली
अलादीन ने सैनिकों को सस्ते मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिल्ली में बाजार व्यवस्था लागू की इसका बाजार चार श्रेणियों में बांटा था।
1-गल्ला मंडी ।
2-सराय ए अलत (निर्मित वस्तुओं का बाजार छोटे बाजार)।
3-छोटे बाजार।
4-घोड़े दासों और अन्य पशुओं का बाजार।
इस बाजार में वस्तुओं के मूल्य निश्चित थी निश्चित मूल्य से अधिक मूल्य पर बेचने पर दंड का प्रावधान था। कम बोलने वाले व्यक्ति के शरीर से उतने ही मांस का टुकड़ा काट लिया जाता था। बाजार की देखरेख के लिए शहना-ए-मंडी नामक एक अधिकारी की नियुक्ति की थी इस पर पहली नियुक्ति पाने वाला व्यक्ति मलिक काफूर था।
अलाउद्दीन का पुत्र
खिज्र खान, मुबारक खिलजी, शिहाबुद्दीन उमर।
मलिक काफूर के कहने पर अलाउद्दीन ने अपने सबसे छोटे पुत्र शहाबुद्दीन उम्र को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। और मलिक काफूर को उसका अंगरक्षक बना दिया। लगभग 35 दिन सत्ता उपभोग के बाद अलाउद्दीन ने के दूसरे पुत्र ने मलिक काफूर की हत्या कर दी। और स्वयं अपने भाई का अंगरक्षक बन गया। कुछ समय बाद शिहाबुद्दीन की दोनों आंखें फोड़ दी वह कालांतर में उसकी हत्या कर दी। और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठ गया। वह अपना चयन देवी इच्छा के फल स्वरुप मानता था। इसने अल इमाम उल इमाम और खलीफत अल्लाह की उपाधि को धारण किया। इसने स्वयं को खलीफा घोषित किया। यह दिल्ली का एक ऐसा सुल्तान था जो स्त्रियों का वस्त्र धारण कर के दरबार में आया करता था। इसके वजीर नसीरुद्दीन खुसरो शाह ने इसकी हत्या कर दी यह हिंदू जाति से परिवर्तित मुसलमान था।
स्थापत्य कला
इसने भरतपुर राजस्थान में उखापुर मस्जिद का निर्माण करवाया। निजामुद्दीन औलिया की दरगाह बनवाई थी।नसरुद्दीन खुसरो शाह की हत्या उत्तरी सीमा पर तैनात गाजी मलिक ने कर दी।
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