तुगलक वंश 1320 से 1414, गयासुद्दीन तुगलक, मोहम्मद बिन तुगलक, फिरोजशाह तुगलक || Tuglak dinesty

 

तुगलक वंश 1320 से 1414, गयासुद्दीन तुगलक, मोहम्मद बिन तुगलक, फिरोजशाह तुगलक || Tuglak dinesty-

तुगलक वंश, Tughlaq dynasty, 1320 से 1414 
संस्थापक-गयासुद्दीन तुगलक 1320 से 1325 तक
Who was the first ruler of Tugalak dynasty
Who is the founder of Tughlaq dynasty?
इस वंश Dinesty का संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक था। इसका वास्तविक नाम गाजी मलिक था। सिंहासन पर बैठने के बाद इसने अलाउद्दीन की आर्थिक नीति को बदल डाला।  इसके स्थान पर गल्ला  बक्शी और  बटाई व्यवस्थाा प्रारंभ की।
गयासुद्दीन बंगाल अभियान पर गया था। तभी उसे सूचना मिली कि उसका पुत्र जौना खां निजामुद्दीन औलिया का शिष्य बन गया है। और वह उसे राजा होने का भविष्यवाणी कर रहा है। निजामुद्दीन को गयासुद्दीन ने धमकी दी, और कहा मेरे दिल्ली पहुंचने से पहले दिल्ली छोड़ दो, निजामुद्दीन औलिया ने कहा दिल्ली दूरस्थ अर्थात दिल्ली अभी दूर है।

स्थापत्य कला
1-दिल्ली सल्तनत में सबसे पहली बार नहरों का निर्माण करवाया।
2-इसने तुग़लकाबाद नामक शहर बसाया।
3-तुग़लकाबाद के समीप 56 कोर्ट दुर्ग का निर्माण करवाया।
4-तुग़लकाबाद से 8 किलोमीटर दूर अफगानपुर में जौंना खान द्वारा बनवाए गए लकड़ी के महल में प्रवेश करने से गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई और उसे तुग़लकाबाद में दफना दिया गया।

How many rulers are in Tughlaq dynasty?
Ghiyath-ud-din Tughluq Shah / Abu Bakr Shah / Muhammad Shah / Mahmud Tughlaq / Nusrat Shah

मोहम्मद बिन तुगलक Muhammad bin Tughluq 1325 से 1351 तक
इसका वास्तविक नाम जौना खां Jauna Khan था।
 गयासुद्दीन तुगलक Ghiyath-ud-din Tughluq Shah की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जौना खान मोहम्मद बिन तुगलक की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। राजामुंदरी के एक अभिलेख में इसे दुनिया का खान कहा गया। इतिहासकार एडवर्ड थॉमस ने इसे धनवानों का राजकुमार कहा। इसके समय में 1333 ईस्वी में मोरक्को यात्री इब्नबतूता भारत आया। सुल्तान ने इसे दिल्ली का प्रमुख काजी बना दिया। इसने रेहला नामक एक पुस्तक लिखी इसमें सुल्तान के साथ-साथ भारतीय सामाजिक व्यवस्था का भी वर्णन था। 1324 ईस्वी में इसे भारत का राजदूत बनाकर चीन भेजा गया। तुगलक ने दिल्ली का एक ऐसा पहला सुल्तान था जिसने योग्यता के आधार पर पदों का आवंटन किया मोहम्मद बिन तुगलक का जी के इस फैसले से संतुष्ट नहीं होता था। उस फैसले को बदल देता था।
Muhammad bin Tughluq called himself the son of Tughluq Shah
मोहम्मद बिन तुगलक की महत्वाकांक्षी योजनाएं
1दोआब कर में वृद्धि 1326 से 1327
सुल्तानों ने दो आप कर में वृद्धि 50% कर दिया लेकिन अकाल पड़ जाने के कारण फसल पूरी तरह प्रभावित हो गई लेकिन फिर भी राजस्व को जबरन वसूला गया, किसानों ने विद्रोह कर दिया इस विद्रोह को शांत करने के लिए अमीर एक को ही नामक कृषि विभाग की स्थापना की गई इस विभाग से किसानों को कृषि संबंधित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थी।

राजधानी परिवर्तन
मोहम्मद बिन तुगलक ने राजधानी दिल्ली को देवगिरी (कुवत उल इस्लाम दौलताबाद) रूपांतरित कर दिया।मोहम्मद मुबारक खिलजी के समय में इसका नाम कुतबाबाद  रखा गया। मोहम्मद बिन तुगलक ने इसे दौलताबाद कर दिया।

सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन 1329 से 1330
इसे टोकन करेंसी आदि मुद्रा के नाम से जानते हैं चांदी की कमी महसूस होने के कारण फरिश्ता के अनुसार पीतल की मुद्रा बरनी के अनुसार तांबे की मुद्रा जारी किया। बाजार पर नियंत्रण न रख पाने के कारण लोग नकली मुद्रा छापने लगे इस कारण यह योजना भी असफल हो गई।
खुरासान अभियान 
यहां पर आक्रमण करने के लिए सुल्तान ने 370000 सैनिकों को अग्रिम वेतन दे दिया बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो जाने के कारण सैनिक वेतन लेकर घर चले गए।

कराचिल अभियान ईरान 
मलिक खुसरो के नेतृत्व में एक सैनिक टुकड़ी कराची भेजी गई रास्ता जंगली होने के कारण अधिकांश सैनिक रास्ता भटक गए और मारे गए।

दक्षिण भारत पर प्रशासन
दक्षिण भारत पर शासन करने के लिए अमीरे सादा नामक अधिकारियों की नियुक्ति की थी। जो 100 गांवों से ऊपर शासन करते थे। इसके समय में 1329 ईस्वी में शर्मा शरीर चक्र आईने के नेतृत्व में मंगोल आक्रमण हुआ। जिसे सुल्तान ने घूस देकर वापस कर दिया। इसने अपने दरबार में जैन गुरु जिन प्रसाद सुरी को संरक्षण दिया था। यह दिल्ली का एक ऐसा सुल्तान था। जो हिंदुओं के त्योहार होली और दिवाली में भी भाग लेता था।
गुजरात के शासक के विद्रोह को दबाने के लिए इसने गुजरात प्रस्थान किया और इसके विद्रोह को दबा कर सिंह की और पहुंचा और रास्ते में थट्टा (पाकिस्तान) मैं बीमार पड़ गया और उसकी मृत्यु हो गई।

स्थापत्य कला
स्वर्गद्वारी नामक नगर की स्थापना कन्नौज।
जहांपनाह नगर  दिल्ली।
अदिलाबाद का किला।
Who was the last ruler of Tughlaq dynasty?
फिरोजशाह तुगलक Firoj Shah Tugulaq 1351 से 388 ईसवी तक
मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद फिरोजशाह तुगलक गद्दी पर बैठा इसकी माता एक राजपूत थी।जिसका नाम बीवी नैला था। जो राजपूत सरदार रणमल की पुत्री थी। इसने पदों को पुनः वंशानुगत कर दिया इनकी आत्मकथा फतुहा ए फिरोजशाही से पता चलता है। कि इसने 24 प्रकार के करों को माफ कर दिया था।
इस के समय में जजिया खुम्स और जकात ही लगाया गया।
इसने एक नया कर हमसे इस सर्व लगाया था,जो उपज का 1/10 भाग लिया जाता था। बंगाल अभियान से वापस लौटते समय जौनपुर शहर की नींव डाली थी इब्राहिम शाह सरकी के समय में जौनपुर सिराजे ए हिंद के नाम से जाना गया।
 महत्वपूर्ण कार्य
1-दीवान ए खैरात दान विभाग की स्थापना की स्थापना।
2-दारुल सफा नामक एक राजकीय अस्पताल खुलवाया।
3-इसने रोजगार कार्यालय की स्थापना
4-अनुवाद विभाग की स्थापना 
5-लोक निर्माण विभाग की स्थापना।

इसके पास सबसे अधिक गुलाम थे (लगभग 180000) इसी के समय में ही जिसकी देखभाल के लिए दीवाने ए बंदगान नामक विभाग की स्थापना की।

स्थापत्य कला
इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार फिरोजशाह तुगलक एक कला प्रेमी था इसलिए उसने 300 नए नगरों का निर्माण करवाया। जिसमें पुल, मस्जिद सभी सम्मिलित थे।
इसके नगरों में जौनपुर, फिरोजपुर, फतेहपुर आदि प्रमुख थे।
यमुना नदी के तट पर बसाया गया शहर फिरोजाबाद सुल्तान को सबसे अधिक प्रिय था। यह कांच की चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। इसने सनसनी नामक सिक्का जारी किया था। इसने सिक्कों पर अपने साथ-साथ अपने पुत्र का भी नाम लिखवाया था।

दरबारी विद्वान
इस के दरबार में जियाउद्दीन बन्नी, सम्स- ए-  सिराज आफिफ निवास करते थे। जियाउद्दीन बरनी ने फतवा ए जहांदारी और तारीख ए फिरोजशाही की स्थापना की दलयात ए फिरोजशाही जियाउद्दीन द्वारा लिखी गई है।

इस के समय में 1398 में तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया। सुल्तान राजधानी छोड़कर भाग गया।15 दिन लंग ने इसका इंतजार किया। उसके बाद वापस ना आने पर उसके विजित प्रदेशों को खिज्र खां नामक एक व्यक्ति को सौंप कर वापस चला गया। फिर खिज्र खां 1414 तक इंतजार किया। इसके बाद में नए वंश सैयद वंश की स्थापना की।

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